ग्रहों के गोचरीय स्थिति के द्वारा विवाह काल निर्णय ---- भाग 2

शनि  27  माह और गुरु 12 माह  की अवधि  में  विवाह सम्बन्धी फल दे सकता है परन्तु  दशा /अन्तर्दशा  भी विवाह  सम्बन्धी  परिस्थितियाँ  उत्पन्न  करने  में  सहायक  होने  चाहिए ।  शनि  धीमी  गति  का  कारक  ग्रह  है ,यह  एक  राशि  में  लगभग  28  माह  की  अवधि  तक अपना  भ्रमण  पूर्ण  करता  है। शनि  और बृहस्पति  उस वर्ष  विशेष  को  बतलाते  हैं   जिस  वर्ष   में  विवाह  की  संभावना  प्रबल  हो  सकती  है। उस  अवधि  में बृहस्पति  निम्न  स्थानों  में  भ्रमण  कर  सकता है  ,अथवा दृष्टि  सम्बन्ध  स्थापित  कर  सकता  है :--


1 ** जन्म शुक्र तथा पंचम भाव पंचमेश 

2** पंचम भाव तथा नवम भाव 

3** पंचम भाव तथा  नवमेश 
  
4 ** पंचमेश  तथा नवमेश 


पंचम  एवं   नवम  भाव  हमारे   पिछले   जन्म तथा   वर्तमान  जन्म  के  कर्मों  का   लेखा-जोखा   प्रस्तुत  करते हैं। बृहस्पति  गृह  इन  भावों  विशेष  प्रभाव  है , गोचरवश  वह  जब  भी  उपरोक्त  स्थिति  में  आता  है  इन  कर्मों  को  जागृत  करता  है। मनुष्य  के   जीवन  में  जब कभी  भी  कोई  महत्वपूर्ण   घटना   होती  है--,पंचम भाव ,,नवम  भाव  तथा  इसके स्वामी ग्रह  प्रत्यक्षतः अपनी  विशिष्ट  भूमिका  निभाते  हैं।  

शेष  अगले अंक में.  

आचार्या  दीपिका  श्रीवास्तव 
7462019762 













Comments

Popular posts from this blog

इस प्रकार भगवान शिव को प्रसन्न कर मनाएं रक्षाबंधन का त्यौहार