ये हैं कुंडली के कुछ सबसे बुरे योग


                                                                           
                                   


ये हैं कुंडली के कुछ सबसे बुरे योग......अगर इनमें से कोई एक भी योग कुंडली में हो तो व्यक्ती का जीवन परेशानियों में व्यतीत होता है।
1..केमद्रुम योग....
बुरे योगों में पहला नाम है केमद्रुम योग का,यह योग कुंडली में चंद्रमा की वजह से बनता है। जब चंद्रमा दुसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्रमा के आगे पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह ना हो तो यह स्थिति केमद्रुम योग कही जाती है। जीस जातक की कुंडली में यह योग होता है उसे आजीवन धन की परेशानी झेलनी पड़ती है।
2..ग्रहण योग...
कुंडली में अगर चंद्रमा और राहु या केतु साथ बैठे हों तो यह स्थिति ग्रहण योग बनाती है। यदि इसमें सूर्य भी साथ हो जाये तो ऐसे जातक की मानसिक स्थिति बहुत खराब हो जाती है । ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे भी पड़ते हैं।
3..गरु चांडाल योग...
जिस जातक की कुंडली में गुरु के साथ राहु की उपस्थिति होती है उसकी कुंडली में चांडाल योग बनता है।इसका सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा और्र आथिक स्थिति पर पड़ता है।
4...कुज योग...
जब मंगल लग्न,चतुर्थ़,सप्तम,अष्टम या बारहवें स्थान हो तो यह कुज योग बनाता है सामान्य भाषा में इसे मंगल दोष भी कहा जाता है । जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उस जातक का वैवाहिक जीवन कष्टप्रद हो जाता है। इसलिए विवाह से पूर्व वर और वधु की कुंडली अवश्य मिला लेनी चाहिए ।
5... षडयंत्र योग...
यदि कुंडली का लग्नेश आठवें घर में विराजमान हो और उसके साथ कोई भी शुभ ग्रह उपस्थित ना हो तो या षडयंत्र योग बनता है । जो भी जातक इस योग की चपेट में आता है उसे किसी करीबी व्यक्ति के षडयंत्र का सामना करना पड़ता है। उसे कोई अपना ही किसी बड़ मुसीबत में फंसा देता है ।
6... भाव नाश योग...
जन्म कुंडली में जब किसी भी भाव का स्वामि छठे,आठवें या बारहवें स्थान पर जाकर बैठ जाता है तो वह उस भाव के सभी प्रभावों को नष्ट कर देता है ।
7...अल्पायु योग...
चन्द्रमा पाप ग्रहों से युति करे और साथ ही उसकी बैठकी छठे,आठवें या बारहवें स्थान पर हो या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा व्यक्ति निश्चत तौर पर अल्पायु होता है । उसके जीवन पर हर समय खतरा मंडराता रहता है ।
8... प्राकृत दोष...
कुंडली में दशवें और चौथे स्थान पर राहु या केतु हो तो प्राकृत दोष होता है । इस दोष से माता पिता को कष्ट होता है ।




आचार्या  दीपिका श्रीवास्तव






Comments

Popular posts from this blog

इस प्रकार भगवान शिव को प्रसन्न कर मनाएं रक्षाबंधन का त्यौहार