कैसे आरम्भ होती है शनि की साढ़ेसाती और ढैया
शनि की साढ़ेसाती और ढैया के नाम से हर कोई घबरा जाता है। इस काल में जातक भरी नुकसान का सामना
करते हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी काम पुरे नहीं होते ,असफलता का मुँह देखना पड़ता है,अचानक दुर्घटना हो जाती है।
शनि की साढ़ेसाती और ढैया से पीड़ित जातक के जीवन में मुश्किलें होना आम बात है। लेकिन शनि देव के राशि परिवर्तन करते ही पहले से साढ़ेसाती और ढैया का प्रकोप झेल रहे जातकों के लिए मुश्किल और बढ़ जाती हैं। संभावना तो यह भी है की मुश्किलें पहले से काम हो जाएँ लेकिन ऐसा होना दुर्लभ मन जाता है। क्योंकि कुंडली में जब तक शनि बहुत शुभ स्थिति में न हो और किसी प्रकार का नुकसान न दे रहे हों तब तक साढ़ेसाती और ढैया के दौरान सुगम समय की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
कैसे आरम्भ होती है शनि की साढ़ेसाती और ढैया
शनि की साढ़ेसाती और ढैया की गणना चंद्र राशि के अनुसार अर्थात जन्म जिस राशि में चन्द्रमा होता है उसके अनुसार होती है। जन्म कालिक चंद्र राशि से गोचर भ्रमण के दौरान शनि जब द्वादश भाव में आते हैं थो साढ़ेसाती का प्रारम्भ हो जाता है।
चंद्र राशि तथा चंद्र राशि से दूसरे भाव में जब तक रहता है तब तक साढ़ेसाती बानी रहती है, और जब तीसरे भाव में प्रवेश करते हैं तो साढ़ेसाती समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार जब गोचर का शनि चंद्र राशि से चौथी तथा आठवीं राशि में आता है तब शनि की ढैया प्रारम्भ होती है।
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