शनि की साढ़ेसाती व ढैया के उपाय

 शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या सदा अशुभ नहीं होती 

सामान्यतः यह समझा जाता है कि शनि की साढ़ेसाती या ढैया अशुभ फल कारक होता है। विशेषतः तो ढैया को मृत्यु का कारक ही समझा जाता है, लेकिन वस्तु स्थिति ऐसी नहीं है। साढ़ेसाती व ढैया के अंतराल में शनि सुख समृद्धि देने वाला भी होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है की जन्म कुंडली में शनि किस स्थिति में है। यदि शनि जातक के जन्म के समय त्रिकोणेश , लग्नेश अथवा तीसरे ,छठे या ग्यारहवें भावों का स्वामी हो कर मित्र ग्रहों से दृष्ट होकर 5,9, 3, 6 और ग्यारहवें भावों में बैठा हो तो शनि धन प्रदान करने वाला या धन को बढ़ाने वाला होता है ,अर्थात ऐसे साढ़ेसाती के समय मनुष्य आर्थिक उन्नति करता है, उक्त समय में दशा-अंतर्दशा भी अच्छी चल रही हो तो अधिक शुभ फल मिलेगा। इसके विपरीत कुंडली में 2,7,8 एवं 12वें भाव का स्वामी होकर अशुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो अत्यंत कष्ट कारक साढ़ेसाती होती है।


लाल किताब के रचयिता के अनुसार शनि की साढ़ेसाती  व ढैया से पीड़ित जातकों को निम्नलिखित उपायों द्वारा शनि की अनिष्टता दूर करनी चाहिए।

1. शराब ना पिएं ना पिलायें और ना मांस-मछली आदि का सेवन करें।
2. नंगे पैर मंदिर या किसी भी धर्म स्थल में जाएं।
3. मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल भरकर पानी के अंदर दबाए।
4. काले घोड़े की नाल की अंगूठी या नाव के कील की अंगूठी बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें।
5.सूखे नारियल और बादाम का दान करें।
6. कन्याओं की सेवा और माता दुर्गा की पूजा करें।
7. बंदर को गुड़ खिलाएं।
8 . खुशी के समय मीठा ना बाटे।
9. भूरी भैंस का पालन और सेवा करें।
10. शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।
11. किसी वीरान स्थान में सुरमा दबाएं।




लाल किताब के मतानुसार शनि के अनिष्ट निवारण हेतु सामान्य अचूक उपाय

1 . शनिवार का व्रत रखें।
2. सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी कुत्ते अथवा कौवे को खिलाएं।
3. 43 दिन तक लगातार सरसों  के तेल से चुपड़ी रोटी कौओं को खिलाएं।
4. अपने भोजन से गाय और कुत्ते का हिस्सा निकालकर उन्हें भी भोजन कराएं।
5. लोहा या काले उड़द का दान करें।
6. शनिवार को तेल में छाया देखकर तेल का दान करें।
7. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
8. बजरंग बाण एवं शनि स्तोत्र एवं शनि कवच का पाठ करें।
9. दो लोहे के टुकड़े या काला नमक के टुकड़े लेकर एक टुकड़ा बहते पानी में बहा दें और दूसरा टुकड़ा आजीवन अपने पास संभाल कर रखें। खो जाने पर पुनः खरीदना है परंतु दोबारा पानी में बहाने की आवश्यकता नहीं है।
10. ज्योतिष से सलाह लेकर नीलम रत्न धारण करें एवं रत्न का दान करें।



वैदिक विधि द्वारा साढ़ेसाती और ढैय्या का उपाय

यदि आप शनि की साढ़ेसाती,शनि की ढैया से कष्ट प्राप्त कर रहे हैं तो आपको अपने अंदर साहस ,धर्म और कर्म शक्ति का संचार करना चाहिए। अपना काम सूझबूझ व लगन से करें। शनि देव के अनिष्ट को शांत करने के लिए शिव जी के महाकाल रूप और हनुमान जी की उपासना करें। नित्य ही हनुमान चालीसा ,बजरंग बाण आदि का पाठ करें।


अन्य उपाय इस प्रकार हैं---------

1. शनिवार का व्रत करें ,एक समय शाम को भोजन करें।
2. प्रातः काल लोहे, स्टील या तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें काला तिल ,रोली और नीला फूल डालकर पीपल वृक्ष के मूल में चढ़ाएं।
3. शनिवार के दिन शाम के वक्त सरसों के तेल में तिल डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
4. हनुमान जी के मंदिर में गुड़ का प्रसाद, धूप ,अगरबत्ती, पुष्प चढ़ाएं।
5 . हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
6. शनिवार के दिन काले उड़द -चावल की खिचड़ी में काला तिल डालकर भोजन करें।
7 . काले कुत्ते को शनिवार के दिन काली उड़द की खिचड़ी तिल डाल कर खिलायें।
8.  ज्योतिष से सलाह ले कर जन्म कुंडली के अनुसार रत्न धारण करें। 






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