कब ख़त्म होगी ये महामारी कोरोना वायरस (COVID -19)
पूरा विश्व आज बहुत ही संघर्षपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है।कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया में लोग परेशान हैं।हमारा देश भी इस महामारी से जूझ रहा है,देश में लॉकडाउन हो गया है ,देश की अर्थव्यवस्था हिल गयी है।
आइये जानते हैं वे कौन से ज्योतषीय कारण हैं जिसकी वजह से इस बिमारी की शुरुआत हुई और किन ग्रहों के परिवर्तन से इस बिमारी का अंत होगा।
सबसे पहले बात करते हैं कारणों की -----
5 नवंबर 2019 को गुरु का राशि परिवर्तन धनु राशि में हुआ ,शनि यहाँ पहले से विराजमान थे और 7 मार्च 2019 को केतु भी धनु राशि में आये। धनु राशि में केतु मूल नक्षत्र में हैं जो की सितंबर 2020 तक रहेंगे और मूल नक्षत्र का सम्बन्ध चीजों को नष्ट करने से है।
शनि --- वायरस ,विष ,कष्ट और आम जनता के कारक ग्रह माने गये हैं।
गुरु --- जीव और अर्थव्यवस्था के कारक हैं।
केतु --- रहस्यमयी बीमारियों के कारक हैं।
इन तीनों ग्रहों की दृष्टि मिथुन राशि पर पड़ रही है जो की श्वसन तंत्र का कारक है ,धनु राशि पूर्व दिशा का कारक हैं अतः स्पष्ट है की इस महामारी की शुरुआत पूर्व दिशा से अर्थात चीन से हुई जो इंसान की श्वसन तंत्र पर प्रहार करता है। गुरु ,शनि ,केतु की दृष्टि मिथुन राशि में बैठे राहु पर पड़ी , जो की इस संक्रमण के फैलने में सहायक सिद्ध हुई। राहु संक्रमण का कारक है। धनु राशि में गुरु और केतु की युति से चांडाल दोष बना जिससे देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी।
26 दिसम्बर को धनु राशि में सूर्य ग्रहण था।राहु -केतु ,गुरु ,शनि गोचर में जब यह ग्रह किसी बड़े ग्रहण के समय विशेष रूप से पीड़ा में हों तब ऐसी वैश्विक महामारी की प्रबल संभावना बनती है। 2002 - 2003 में शनि राहु की युति थी तब सार्स महामारी फ़ैली थी और 2009 में स्वाइन फ़्लू फ़ैला था तब राहु -गुरु की युति थी।
षडाष्टक योग (रोग से मृत्यु ) ---- 24 जनवरी को मकर राशि में शनि का आगमन हुआ और राहु मिथुन राशि में हैं जिससे की षडाष्टक योग का निर्माण हुआ। राहु और शनि के एक दूसरे से छठे -आठवें भाव में होने से षडाष्टक योग बना। जिससे इस बिमारी ने और व्यापक रूप ले लिया।
22 मार्च को मंगल का और 30 मार्च को गुरु का राशि परिवर्तन मकर राशि में हुआ ,शनि यहाँ पहले से ही स्थित हैं। मकर गुरु की नीच राशि है और मंगल की उच्च राशि है और शनि यहाँ स्वगृही हैं। शनि और मंगल के बीच में गुरु कमज़ोर हो गए और यह भी इस महामारी के बढ़ने का एक बड़ा कारण बना।
कब होगा इस बीमारी का अंत ----
14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में आ चुके हैं जिससे की वातावरण के बदलाव से कोरोना के प्रभाव में कमीं आने लगी है ,4 मई को मंगल का प्रवेश मकर राशि से कुम्भ राशि में हो गया जिससे की लॉकडाउन की स्थिति में थोड़ी ढील हुई आम लोगों के जीवन में थोड़ा सुधार देखने को मिला। 11 मई को शनि और 14 मई को गुरु वक्री हो जायेंगे और ज्योतिष में कहा गया है की जब कोई शुभ ग्रह अपनी नीच राशि में आकर वक्री हो जाता है तो उच्च का फल देता है। ऐसे में गुरु का वक्री होना निश्चित ही परिस्थितियों के तनाव को कम करेगा।24 मई को बुध का गोचर मिथुन राशि में होगा जो की बुध की स्वराशि है। बुध के गोचर से विषाणु जनित रोग की रोकथाम शुरू होने की संभावना बनेगी।14 जून को सूर्य का गोचर मिथुन राशि में होगा राहु यहाँ पहले से स्थित हैं अतः सूर्य के साथ राहु अस्त होंगे जिससे की महामारी की रफ़्तार में कुछ दिनों के लिए कमी हो सकती है परन्तु 21 जून को मिथुन राशि में ही सूर्य ग्रहण होगा और राहु भी मिथुन राशि में होंगे जिससे की अचानक संक्रमण बढ़ने की भी संभावना बन सकती है।
30 जून को गुरु अपनी स्वराशि धनु में आ जायेंगे,अपनी राशि में गुरु बलवान होंगे और राहु और केतु की नाकारत्मकता को कम करेंगे। शनि और गुरु दोनों ही वक्री अवस्था में होंगे जिससे की स्वास्थ्य सम्बन्धी बुनियादी ढाँचा,कानून ,व्यवसाय ,नौकरी की नीतियों में परिवर्तन की संभावना बनेगी। 16 अगस्त को मंगल मेष राशि में गोचर करेंगे। 13 सितंबर से गुरु मार्गी हो जायेंगे ,23 सितंबर को राहु और केतु का राशि परिवर्तन होगा ,राहु वृष और केतु वृश्चिक राशि में आएंगे। इन ग्रहों के परिवर्तन से संस्थागत नीतियां अपना प्रभाव दिखाना शुरू करेंगीं साथ ही इस बीमारी के इलाज के लिए दवाएं या टीका बन सकती है।
आचार्य दीपिका श्रीवास्तव
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