साल 2020 में लगने वाले ग्रहण और उसके प्रभाव
2020 में एक ओर जहाँ पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट से जूझ रही है, पूरा विश्व कोविड -19 से लड़ाई लड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ जून का महीना ज्योतिष के लिहाजे से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है, इस महीने दो बड़ी खगोलीय घटनाएं एक साथ होने जा रही हैं 5 जून को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इसके ठीक 16 दिन के बाद यानि की 21 जून को साल 2020 का भारत में दिखाई देने वाला एकमात्र सूर्य ग्रहण भी लगेगा। ज्योतिष के अनुसार 1 वर्ष में 3 से अधिक ग्रहण घातक माने जाते हैं जबकि इस वर्ष 2020 में कुल 6 ग्रहण लग रहे हैं इनमें से एक चंद्र ग्रहण जनवरी 2020 में लग चुका है। इस साल 2020 में कुल 2 सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण लगेंगे इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लग रहा है इसके बाद 14 दिसंबर को लगेगा वही चंद्र ग्रहण 5 जून और 5 जुलाई को लग रहा है इसके बाद फिर 30 नवंबर 2020 को लगेगा।
हिंदू शास्त्र और ज्योतिष में ग्रहण का महत्वपूर्ण स्थान है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक ग्रहण लगना अशुभ माना जाता है,ऐसे में यह महीना काफी उतार-चढ़ाव भरा हो सकता है। खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण लगने का कारण है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के मध्य आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंचता है इसी खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहते हैं। ग्रहण का सभी राशियों के जातकों पर व्यापक असर होता है। चंद्र ग्रहण में 9 घंटे और सूर्यग्रहण में 5 घंटे पहले से सूतक का काल आरंभ हो जाता है। सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है इस काल को अशुभ माना जाता है।
ग्रहण तीन तरह का होता है पूर्ण ,आंशिक और उपच्छाया। 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा कहीं से कटेगा नहीं यानी कि चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा यह अपने पूर्ण आकार में आसमान में चलते नजर आएंगे। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छवि मलिन हो जाएगी यानी चंद्रमा कुछ मटमैला सा दिखाई देगा क्योंकि यह वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं है। उपच्छाया होने के कारण सूतक का प्रभाव भी कम होगा और ग्रहण संबंधित विशेष उपायों की भी आवश्यकता नहीं है। 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत समेत यूरोप के साथ ही साथ अफ्रीका ,एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से में दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण का समय---
5 जून को रात के 11:16 से ग्रहण शुरू हो जाएगा जो अगले दिन यानी कि 6 जून की सुबह 2:32 तक रहेगा 12:54 पर पूर्ण चंद्रग्रहण होगा इस चंद्रग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 15 मिनट की होगी।
सूर्य ग्रहण का समय---
21 तारीख को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से यह ग्रहण आरंभ हो जाएगा और दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा , वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा और करीब 5 घंटे 48 मिनट 3 सेकंड का होगा। दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर यह सबसे ज्यादा प्रभावी होगा।
21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत ,दक्षिण पूर्वी यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर ,अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के प्रमुख हिस्सों में दिखाई देगा।यह सूर्य ग्रहण बहुत ज्यादा संवेदनशील होगा। यह ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है इसलिए मिथुन राशि वालों पर इस ग्रहण का सबसे अधिक असर होगा। इस ग्रहण के दौरान कुल 6 ग्रह शनि, गुरु ,शुक्र और बुध वक्री होंगे राहु और केतु हमेशा वक्री होते हैं इसलिए इनको मिलाकर कुल 6 ग्रह वक्री रहेंगे जो अशुभ फलदायी होंगे।मंगल जल तत्व की राशि मीन में 5 माह तक स्थित होकर सूर्य ,बुध ,चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, विश्व में बड़ी उथल-पुथल मच सकती है। इस दौरान ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात तूफान, महामारी आदि से धन-जन की हानि होने का खतरा है। शनि ,मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर बना रह सकता है।इस ग्रहण के कारण भारत का पड़ोसी देशों से संबंध प्रभावित हो सकता है। सरकार का अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास बाधित हो सकता है जिससे निपटने के लिए सरकार को नई रणनीति तैयार करनी होगी।
सूर्यग्रहण में 5 घंटे पहले से सूतक का काल आरंभ हो जाता है सूतक काल को अशुभ माना जाता है। इसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। खाने -पीने की मनाही होती है, गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्ति, छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों पर नियम लागू नहीं होते। गर्भवती महिलाओं को किसी भी चीज को काटना -छाँटना नहीं चाहिए सब्जी, फल या कोई भी चीज। साथ ही यह जरूर ध्यान रखें कि सूतक लगने से पहले ही भोजन में तुलसी पत्ते जरूर डाल दें इससे ग्रहण काल में जरूरत पड़ने पर इस खाने का इस्तेमाल किया जा सकता है। सूतक काल में ईश्वर की आराधना ,मंत्र जाप करना चाहिए। सूतक काल में भगवान की मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
जून के महीने में ग्रहण के अलावा कई ग्रहों में उथल-पुथल बनी रहेगी, कुछ ग्रह अपनी राशि बदल कर दूसरी राशि में प्रवेश करेंगे, कुछ वक्री से मार्गी और कुछ मार्गी से वक्री होंगे।ज्योतिष के अनुसार ग्रहों के राशि परिवर्तन करने से जातकों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है । जून के महीने में कौन से ग्रह किस स्थिति में होंगे और सभी 12 राशियों पर क्या असर पड़ेगा आइए जानते हैं ।
15 जून को सूर्य वृष राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।सूर्य के राशि परिवर्तन से जिन जातकों की कुंडली में सूर्य शुभ भाव में बैठे हैं उनको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
18 जून को मंगल मीन राशि में परिवर्तन करेंगे। कुंडली में मंगल का काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। मंगल को ज्योतिष शास्त्र में सेनापति की भूमिका दी गई है। मंगल के प्रभाव से व्यक्ति का क्रोध बढ़ता है और जमीन -जायदाद से जुड़े हुए विवाद होने लगते हैं।
18 जून को बुध मिथुन राशि में वक्री होकर भ्रमण करेंगे। मिथुन राशि में सूर्य और बुध की युति होगी।
30 जून को गुरु मकर राशि से धनु राशि में आ जाएंगे। गुरु का अपनी राशि में गोचर करने से गुरु का शुभ प्रभाव राशियों पर पड़ेगा।
25 जून को शुक्र मार्गी हो जायेंगे। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में है उन राशियों पर शुक्र का शुभ प्रभाव पड़ेगा।
जून के महीने में शनि ग्रह में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं होगा। शनि 11 मई को वक्री हुए थे। शनि अभी मकर राशि में है।
राहु केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना जाता है। अभी राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में है और इनमें इस महीने कोई भी परिवर्तन नहीं होगा।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
मेष --मेष राशि के जातकों को सफलता मिलने की संभावना है।
वृष -- वृष राशि वालों के लिए समय शुभ रहेगा परन्तु ग्रहण काल में सतर्कता बरतें अन्यथा धन यश की हानि हो सकती है।
मिथुन -- मिथुन राशि में ही ग्रहण लगेगा इसलिए इस राशि वालों के लिए समय थोड़ा कष्टकारक हो सकता है ,दुर्घटना की आशंका रहेगी।
कर्क --कर्क राशि वालों के लिए समय मिला-जुला हो सकता है। संपत्ति के मामले में हानि हो सकती है।
सिंह -- सिंह राशि वालों के लिए परेशानी भरा समय हो सकता है ,परन्तुं कहीं से थोड़े-बहोत लाभ प्राप्त होने के संकेत हैं।
कन्या -- कन्या राशि वालों पर ग्रहण का कोई विशेष असर नहीं होगा। लाभप्रद ,सुखद परिणाम मिलेंगे ।
तुला -- तुला राशि वाणी पर नियंत्रण रखें झगड़ा हो सकता है।किसी भी तरह के वाद -विवाद में न पड़ें।
वृश्चिक --वृश्चिक राशि सावधान रहने की आवश्यकता है। ग्रहण कष्टकारी हो सकता है।
धनु -- धनु राशि वालों को भी ग्रहण काल में सावधानी बरतनी होगी। स्त्री पीड़ा का योग बन रहा है।
मकर-- मकर राशि इस राशि के लोगों के लिए यह शुभ है। परन्तु ग्रहण के दौरान सावधानी की आवश्यकता है।
कुंभ-- कुम्भ राशि जीवन में चिंता बढ़ सकती है। सतर्क रहें।
मीन-- मीन राशि परेशानी व बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।सतर्क रहें,ग्रहण काल में सावधानी बरतें।
भगवान वेदव्यास जी ने बताया हैं चंद्र ग्रहण में किया गया पुण्य कर्म जप,ध्यान ,दान आदि 100000 गुना और सूर्यग्रहण में 1000000 गुना फलदाई होता है।
ग्रहण के दौरान किये जाने वाले कुछ नियम
ग्रहण काल में महामृत्युंजय या गायत्री मंत्र का जाप करें।
ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति या तस्वीर को नहीं छूना चाहिए।
पूजा- पाठ के स्थान पर ग्रहण के दौरान पर्दा लगा देना चाहिए।
मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं।
ग्रहण से पहले खाने के सामान में तुलसी पत्ता डाल कर रखें।
ग्रहण के वक्त कुछ लोग टोना-टोटका करते हैं, इसलिए भूल से भी बाहर वालों से कोई वस्तु न लें।
घर में या कहीं और किसी से ,किसी तरह कावाद- विवाद न करें।
बड़े बुजुर्गों की देख रेख करें एवं उनका अपमान न करें।
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